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Saturday, October 1, 2016
॥ आचार्य अवधेशानंद गिरी जी ॥
शायद इस पृथ्वी पर इस काल खंड में इनसे बड़ा कोई वक्ता नहीं होगा । अपने शब्दो के सागर से अपनी बात को इतने सूंदर और कलात्मक तरीके से कहने की इनका कला अद्वित्य है । वाणी में ऐसी वाक्पटुता विरलय है ।
ऐसे आचार्य को नमन करता हूँ ।
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